निर्णायक तीसरा T20I: श्रीलंका का एकतरफा पीछा
17.4 ओवर में 193/2—हारारे स्पोर्ट्स क्लब का मंच निर्णायक था, पर मैच एकतरफ़ा हो गया। श्रीलंका ने टॉस जीतकर गेंदबाज़ी चुनी, जिम्बाब्वे को 20 ओवर में 191/8 पर रोका और फिर बेहद सलीके से लक्ष्य पार कर सीरीज़ 2-1 से अपने नाम कर ली। यह जीत उतनी ही तेज थी जितनी ठोस—और उसका केंद्र थे युवा बाएँ हाथ के ओपनर कामिल मिशारा।
टॉस के साथ ही इरादा साफ था—कप्तान चरित असलंका ने पिच और हालात पढ़कर पीछा करने का फैसला लिया। जिम्बाब्वे के बल्लेबाज़ों ने योगदान दिए और स्कोर 191 तक ले गए, जो काग़ज़ पर जीत का स्कोर लगता है। लेकिन श्रीलंका ने शुरुआत से ही रनरेट नियंत्रण में रखा और अपने शॉट चयन से दबाव पलट दिया। नतीजा—8 विकेट से बड़ी जीत और सीरीज़ विजयी अंत।
चेज़ का टेम्पो शुरुआती छह ओवरों में ही सेट हो गया। पथुम निसांका ने 20 गेंदों पर 33 रन बनाकर नई गेंद को बेअसर किया। दूसरे छोर से कुशल मेंडिस ने 17 गेंदों पर 30 रन जोड़कर पॉवरप्ले में स्ट्राइक रोटेशन के साथ सीमारेखा भी खोजी। दो विकेट गिरे तो सही, पर रनरेट कभी नहीं डगमगाया—यहीं से जिम्बाब्वे की मुश्किल शुरू हुई।
इसके बाद आया तीसरे विकेट की साझेदारी का क्लिनिकल शो। मिशारा ने अपने T20I करियर का पहला अर्धशतक केवल 43 गेंदों में 73* बनाकर पूरा किया—ड्राइव्स साफ, पुल्स बेखौफ़, और गैप्स की पहचान बेहतरीन। उनके साथ कुशल परेरा (26 गेंदों पर 46*) ने अनुभवी फ्लो जोड़ा। दोनों ने 117 रनों की नाबाद साझेदारी कर जिम्बाब्वे की आख़िरी उम्मीदें भी ख़त्म कर दीं।
जिम्बाब्वे की गेंदबाज़ी में रिचर्ड नगारावा, ब्लेसिंग मुज़ाराबानी और ब्रैड इवांस ने शुरुआत में उछाल का सहारा लिया, कप्तान सिकांदर रज़ा ने फील्ड बदली, स्पिन-सीम का मिश्रण आज़माया, लेकिन जैसे-जैसे गेंद पुरानी हुई, फुल और बैक-ऑफ़-लेंथ पर डिलीवरीज़ पर बाउंड्री निकलती गईं। धीमी गेंदें भी बैट पर आती रहीं और तीसरे विकेट की जोड़ी ने सिंगल-डबल से दबाव हटाकर चौकों-छक्कों से मैच समेट दिया।
पहले बल्लेबाज़ी करते हुए जिम्बाब्वे 191/8 तक पहुँचा—यह स्कोर अलग-अलग छोटे-छोटे योगदानों की वजह से बना। टॉप ऑर्डर ने आधार दिया, मिडिल ऑर्डर ने तेजी पकड़ी और डेथ ओवरों में कुछ बड़े शॉट लगे। श्रीलंका के तेज़ गेंदबाज़ दुश्मंथा चमीरा और मथीशा पथिराना ने गति और लेंथ से विकेट खोजे, बिनुरा फर्नांडो ने बाएँ हाथ की एंगल से वैरायटी दी। बीच के ओवरों में दुशन हेमंथा और कमिंदु मेंडिस ने रफ्तार पर ब्रेक रखकर कुल स्कोर को ‘टू-हंड्रेड-प्लस’ से नीचे रोके रखा—यही बाद में निर्णायक साबित हुआ।
- लक्ष्य: 192
- जिम्बाब्वे: 191/8 (20 ओवर)
- श्रीलंका: 193/2 (17.4 ओवर)
- तीसरे विकेट की साझेदारी: 117* (मिशारा–परेरा)
- कामिल मिशारा: 73* (43)
- कुशल परेरा: 46* (26)
- पथुम निसांका: 33 (20), कुशल मेंडिस: 30 (17)
ऐसे मैचों में अक्सर छोटे-छोटे पल मैच की दिशा तय करते हैं। यहाँ पॉवरप्ले में मिले तेज़ रन और विकेट गिरने के बावजूद रनरेट बनाए रखना टर्निंग पॉइंट रहा। श्रीलंका के बल्लेबाज़ों ने अंदर-बाहर के फील्ड को पढ़ते हुए ग्राउंड शॉट्स से स्कोरिंग आसान रखी—रिवर्स या हाई-रिस्क शॉट्स कम, प्रतिशत शॉट्स ज़्यादा। दूसरी ओर जिम्बाब्वे ने कैचिंग और डेथ में यॉर्कर-लेंथ की सटीकता चूकी, जिसकी कीमत बड़ी साझेदारी के रूप में चुकानी पड़ी।
कप्तानी की बात करें तो असलंका का टॉस पर फैसला सधा हुआ था। गेंदबाज़ों को छोटे-छोटे स्पेल देकर उन्होंने ऊर्जा ताज़ा रखी और सीमरों के बाद तुरंत स्पिन डालकर रफ्तार तोड़ी। रज़ा ने भी रोटेशन में देर नहीं की, लेकिन एक अतिरिक्त स्ट्राइक की कमी खली—तीसरा विकेट जल्द नहीं मिला, और फिर मैच हाथ से फिसल गया।

रणनीति, मोमेंटम और सीरीज़ की तस्वीर
सीरीज़ 1-1 पर थी, दबाव दोनों तरफ था। श्रीलंका ने नर्व्स पर काबू रखा और लक्ष्य का पीछा करते हुए टेम्पो थामे रखा। यह जीत केवल रन बनाकर नहीं, सोच बदलकर आई—‘हंट द गैप्स, टेक द बाउंड्रीज़ वेन ऑफर्ड’ वाली साफ़ रणनीति दिखी। यही आधुनिक T20 का फार्मूला है: पावरप्ले में मूव ऑन, मिडिल में स्ट्राइक रोटेशन, और आखिर में जोखिम कम रखो।
जिम्बाब्वे को इस हार से सीख यह मिलती है कि 180+ के स्कोर पर भी डेथ ओवरों में प्लान-बी जरूरी है—ओवर-द-टॉप शॉट्स रोकने के लिए लंबा-स्क्वायर फील्ड, और स्टंप-टू-स्टंप यॉर्कर/हार्ड लेंथ का बेहतर इस्तेमाल। गेंद गीली हो या नहीं, लाइन-लेंथ और फील्ड की जोड़ी ही बचाव करती है।
व्यक्तिगत प्रदर्शन में मिशारा की निडर बल्लेबाज़ी सबसे आगे रही। उन्होंने स्टार्ट को बड़े स्कोर में बदला और स्ट्राइक-रेट गिरने नहीं दिया—यही अंतर बना। कुशल परेरा की फिनिशिंग याद दिलाती है कि अनुभवी खिलाड़ी कम गेंदों में असर कैसे डालते हैं। निसांका और मेंडिस की तेज शुरुआत ने मंच तैयार किया, ताकि बाद में कोई जल्दबाज़ी न करनी पड़े।
अब खाते में है 2-1 से सीरीज़। श्रीलंका के लिए यह परिणाम आत्मविश्वास बढ़ाने वाला है—ओपनिंग से लेकर मिडिल और फिनिश तक बैटिंग यूनिट जुड़ी दिखी। जिम्बाब्वे के लिए प्लस यह है कि बैटिंग ग्रुप 190 पार तक गया, यानी बेस मौजूद है; आगे काम डेथ-बॉलिंग और बीच के ओवरों की नियंत्रण क्षमता पर होगा।
टीमें अक्सर अगली सीरीज़ से पहले ऐसे मैचों के फुटेज पर बैठती हैं—कौन-सी लेंथ पर बाउंड्री मिली, किस फील्ड सेट के साथ कौन-सी लाइन कारगर रही। हरारे में हुए इस निर्णायक मुकाबले ने दोनों ड्रेसिंग रूम को डेटा और दिशा दोनों दिए हैं: श्रीलंका को भरोसा कि चेज़ में उनके टॉप-थ्री और अनुभवी फिनिशर तालमेल में हैं; जिम्बाब्वे को साफ संकेत कि 190+ भी बचाने के लिए लगातार स्ट्राइक और डेथ-ओवर स्किल चाहिए।
प्लेइंग XI भी दोनों टीमों के संतुलन की कहानी कहती है—जिम्बाब्वे ने लंबी टेल के साथ पावर-हिटिंग और सीम-बॉलिंग रखी, जबकि श्रीलंका ने स्पिन-ऑलराउंड विकल्पों से मिड-ओवर्स को मैनेज किया।
जिम्बाब्वे की प्लेइंग XI:
- ब्रायन बेनेट
- तडिवानाशे मरुमानी (विकेटकीपर)
- शॉन विलियम्स
- सिकांदर रज़ा (कप्तान)
- रायन बर्ल
- टोनी मुंयोंगा
- ताशिंगा मुसेकिवा
- ब्रैड इवांस
- टिनोटेंडा मापोसा
- रिचर्ड नगारावा
- ब्लेसिंग मुज़ाराबानी
श्रीलंका की प्लेइंग XI:
- पथुम निसांका
- कुशल मेंडिस (विकेटकीपर)
- कामिल मिशारा
- कुशल परेरा
- चरित असलंका (कप्तान)
- कमिंदु मेंडिस
- दासुन शनाका
- दुशन हेमंथा
- दुश्मंथा चमीरा
- मथीशा पथिराना
- बिनुरा फर्नांडो
हारारे की शाम, भरा हुआ स्टैंड और स्कोरबोर्ड पर तेज़ी—टी20 क्रिकेट इससे ज़्यादा क्या मांगता है? आख़िरी लाइन यही: स्कोर 191/8 दिख रहा था, पर प्लान और पार्टनरशिप सही हो तो 192 भी छोटे लगते हैं। और श्रीलंका ने यही दिखाया।
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