भारत के अधिकांश हिस्सों में अगले कुछ महीनों में एक अद्वितीय मौसमी आपदा का संकेत मिल रहा है। भारतीय मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है कि दिल्ली-एनसीआर में 15 अक्टूबर, 2025 के आसपास ठंडी हवाएं शुरू हो जाएंगी, जबकि तमिलनाडु और दक्षिणी कर्नाटक में भारी बारिश जारी रहेगी। इसके साथ ही, साइक्लोन मोंथा 28 अक्टूबर, 2025 को आंध्र प्रदेश के मच्छलीपटनम और कलिंगपटनम के बीच तीव्र चक्रवाती तूफान के रूप में तट पर टकराने की संभावना है। यह सब कुछ एक ऐसे घटनाक्रम का हिस्सा है, जिसमें भारतीय मौसम विभाग और अमेरिकी जलवायु भविष्यवाणी केंद्र ने ला नीना के विकास की पुष्टि की है — जो 2025-26 के सर्दी के मौसम को दशकों में सबसे ठंडा बना सकता है।
ठंड की लहर का आगमन: दिल्ली-एनसीआर के लिए अनुमानित बर्फीला अनुभव
10.2°C का न्यूनतम तापमान उना, हिमाचल प्रदेश में 8 अक्टूबर को दर्ज किया गया — यह एक चेतावनी का संकेत है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, 15 अक्टूबर के बाद दिल्ली-एनसीआर में सुबह-शाम का तापमान 8-12°C तक गिर सकता है। यही नहीं, ठंड के साथ घना कोहरा भी लौट रहा है। ओबी न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, यह कोहरा लगातार दिनों तक रह सकता है, जिससे सड़कों पर यातायात बाधित होगा और हवाई अड्डों पर उड़ानें रद्द हो सकती हैं।
यह सिर्फ एक ठंडा दिन नहीं है। आईआईएसईआर मोहाली और ब्राजील के राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान द्वारा 2024 में किए गए अध्ययन में पाया गया कि ला नीना के दौरान उच्च अक्षांशों से बर्फीली हवाएं भारत के उत्तरी मैदानों में प्रवेश करती हैं — जिससे ठंडी लहरों की आवृत्ति और अवधि दोनों बढ़ जाती है। अगर यह घटना पूरी तरह विकसित होती है, तो दिल्ली, गुड़गांव, नोएडा और गाजियाबाद में दिनों तक तापमान 5°C के आसपास रह सकता है।
साइक्लोन मोंथा: तटीय क्षेत्रों के लिए जानलेवा खतरा
बिल्कुल उसी समय, बंगाल की खाड़ी में बना साइक्लोन मोंथा तेजी से बलवान हो रहा है। इसका नाम थाईलैंड ने दिया है, जिसका अर्थ है “सुंदर या सुगंधित फूल” — एक अजीब विरोधाभास, क्योंकि यह तूफान निश्चित रूप से सुंदर नहीं होगा। व्यापार स्टैंडर्ड के अनुसार, यह 28 अक्टूबर को तीव्र चक्रवाती तूफान के रूप में आंध्र प्रदेश के तट पर टकराने की संभावना है।
इसकी तैयारी के लिए ओडिशा के नौ जिलों ने सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं। तटीय क्षेत्रों में लगातार 100-120 किमी/घंटा की गति से हवाएं चल सकती हैं। भारतीय मौसम विभाग ने तमिलनाडु, केरल, माहे, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में 27-30 अक्टूबर के बीच भारी से अत्यधिक बारिश की चेतावनी जारी की है। यह बारिश केवल बाढ़ नहीं लाएगी — यह फसलों को नष्ट कर सकती है, खासकर जिन जिलों में अभी चना और गेहूं की बुआई शुरू हुई है।
ला नीना: दशकों की सबसे ठंडी सर्दी का कारण
यहाँ वास्तविक खतरा छिपा है — ला नीना। यह वैश्विक जलवायु पैटर्न जब शांत महासागर के पूर्वी हिस्से में ठंडा पानी उभरता है, तो भारत के उत्तरी और केंद्रीय मैदानों में ठंड को और भी बढ़ा देता है। नॉएए और भारतीय मौसम विभाग दोनों ने अक्टूबर-दिसंबर 2025 के बीच एक मामूली ला नीना की भविष्यवाणी की है।
वजीरा संस्थान के विश्लेषकों का कहना है कि 2025-26 का सर्दी का मौसम दशकों में सबसे ठंडा हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप हिमालय में भारी बर्फबारी हो सकती है, जो पानी की आपूर्ति के लिए अच्छा है, लेकिन राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए खतरनाक। खेतों में, गेहूं, सरसों और सब्जियों के लिए लंबे समय तक ओस और बर्फ का खतरा है। एक किसान जो 2023 की ठंडी लहर से गुजरा है, वह बताता है: “पिछली बार हमारी सरसों की फसल 70% नष्ट हो गई। अगर यह फिर से होता है, तो हम बर्बाद हैं।”
क्या अगला कदम है?
अब जब तक सरकारें तैयारी कर रही हैं, तब तक आम नागरिकों को भी अपनी तैयारी करनी होगी। दिल्ली-एनसीआर में गर्म कपड़े, बिजली की आपूर्ति के लिए बैकअप, और एक्स्ट्रा फ्यूल की आवश्यकता होगी। तटीय क्षेत्रों में, अस्थायी शिफ्टिंग और आपातकालीन सामग्री की तैयारी जीवन-बचाव हो सकती है।
यह मौसमी घटना केवल एक बार की घटना नहीं है। यह जलवायु परिवर्तन के तहत बढ़ती अस्थिरता का एक और संकेत है। अगले दो वर्षों में ला नीना और एल नीनो के बीच तेजी से बदलाव हो सकते हैं — जिससे भारत के लिए खेती, ऊर्जा और स्वास्थ्य के लिए एक नया चुनौतीपूर्ण युग शुरू हो सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ला नीना क्या है और यह भारत पर कैसे प्रभाव डालती है?
ला नीना शांत महासागर के पूर्वी हिस्से में ठंडे पानी के बढ़ने की घटना है, जो वैश्विक हवाओं को बदल देती है। भारत में, यह उत्तरी और केंद्रीय मैदानों में ठंडी लहरों को बढ़ाती है, जिससे तापमान 5-8°C तक गिर सकता है। यह गेहूं, सरसों और बाजरा जैसी फसलों को नुकसान पहुंचाती है और हिमालय में बर्फबारी बढ़ाती है।
साइक्लोन मोंथा क्यों खतरनाक है?
साइक्लोन मोंथा एक तीव्र चक्रवाती तूफान है, जिसकी हवाओं की गति 120 किमी/घंटा तक हो सकती है। यह आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटीय क्षेत्रों में भारी बारिश, बाढ़ और समुद्री लहरों का कारण बन सकता है। इसकी वजह से घर, सड़कें और बिजली के खंभे नष्ट हो सकते हैं। ओडिशा ने सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं — इसकी गंभीरता का संकेत।
दिल्ली-एनसीआर में कोहरा क्यों बढ़ रहा है?
ठंडी हवाओं के साथ नमी का संयोजन कोहरे को बढ़ाता है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, ला नीना के दौरान दिल्ली-एनसीआर में कोहरा 7-10 दिनों तक लगातार रह सकता है। यह विमानन, रेल और सड़क परिवहन को बाधित करता है और सांस लेने की समस्याओं को बढ़ाता है।
किसानों को इस ठंडी लहर से कैसे बचना चाहिए?
किसानों को गेहूं और सरसों के लिए बर्फीले दिनों के लिए नमी संरक्षण और बर्फ से बचाव के उपाय अपनाने चाहिए। बाल्टी में पानी डालकर फसलों को ढकना, या रात में नमी बढ़ाने के लिए जल छिड़काव करना फायदेमंद हो सकता है। सरकारी योजनाओं जैसे फसल बीमा और ऋण राहत का भी लाभ उठाना चाहिए।
क्या यह जलवायु परिवर्तन का हिस्सा है?
हाँ। ला नीना और एल नीनो की घटनाएँ पहले भी हुई हैं, लेकिन अब वे अधिक तीव्र और अधिक बार हो रही हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि वैश्विक तापमान बढ़ने से जलवायु पैटर्न अस्थिर हो रहे हैं — जिससे भारत में ठंडी लहरें और तूफान दोनों अधिक खतरनाक हो रहे हैं।
अगली बार यह घटना कब होगी?
ला नीना का चक्र आमतौर पर 2-7 साल का होता है। अगर 2025-26 में यह विकसित होता है, तो अगली बार 2027-28 में यह फिर से दिख सकता है। हालाँकि, जलवायु परिवर्तन के कारण यह चक्र अनिश्चित हो रहा है — इसलिए अगले दो वर्षों में भारत को लगातार तैयार रहना होगा।