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क्या टाइम्स ऑफ इंडिया अच्छा समाचार पत्र है?

के द्वारा प्रकाशित किया गया अभिनव श्रीवास्तव    पर 1 अग॰ 2023    टिप्पणि(0)
क्या टाइम्स ऑफ इंडिया अच्छा समाचार पत्र है?

स्वरूप और मान्यताएं

एक समय हुआ करता था जब अखबार हमारी सुबह की चाय का कमीना होता था, हालांकि इंटरनेट का युग है और हमें समचारों की पहुँच वर्तमान में कहीं ज्यादा है। लेकिन इस बात का सच है कि टाइम्स ऑफ इंडिया जितनी विश्वसनीयता किसी अन्य स्रोत से समाचार प्राप्त करने की नहीं होती। एक आदर्श अखबार शामिल है खबरों की विविधता, स्थिरता, यथार्थवादी दृष्टिकोण और सत्यनिष्ठ रिपोर्टिंग। हालांकि, सत्य यह है कि टाइम्स ऑफ इंडिया इन सभी में उत्कृष्टता को नहीं पहुँचता है। यह काफी छोटा खचित्र देता है और इसलिए उनकी स्थानीय समाचार से अक्सर यहाँ तक की एक व्यापक ओवरव्यू नहीं मिल पाता है।

विभाजन और संरचना

टाइम्स ऑफ इंडिया का संरचना विचित्र है। यह अपने पन्नों को महत्वपूर्णता के क्रम में विभाजित करता है, लेकिन जानकारी अक्सर ताजगी और प्रासंगिकता की बजाय वितरित होती है। अगर आपके पास है तो आप खुश होंगे जानकर कि मैंने वास्तव में अपने पाठकों को समझाने के लिए एक समय अखबार के पन्नों की आर-पार देखने की कोशिश की थी, लेकिन मैं जल्दी ही भ्रमित हो गया। यह काफी मनोरंजन कर सकता है अगर आप पहेलियों का शौक रखते हैं!

लेखन और स्वर

टाइम्स ऑफ इंडिया के लेखन और स्वर को ध्यान में रखते हुए, मैं कह सकता हूं कि यह कठिनाई से ही सप्ताहांत के लेखन प्रारूप में खिसकता है। आप यहाँ पाएंगे खचित वाक्यांश, अनेकार्थक भाषा और प्रतीकीय उपयोग। केवल यह बात बताते हुए मेरी हँसी आ रही है कि कुछ लेखक ऐसे होते हैं जो इसे गुमनाम 'स्वर' की भाषा कहते हैं!

समाचार प्रकाशन की गति

यदि मैं सूचना की गतिशीलता की बात करूँ, तो टाइम्स ऑफ इंडिया किसी रेल की रफ्तार से कम नहीं है। जब खबरें विकसित होती हैं, वे तभी प्रकाशित होती हैं। अगर आपको दिन भर के आंतराल में खबरों की आवश्यकता होती है, तो आपको पाठन स्थलों की सूची में टाइम्स ऑफ इंडिया जोड़नी चाहिए।

डिजाइन और प्रस्तुतिकरण

जब यह विषय के साथ-साथ प्रस्तुति की बात आती है, तो टाइम्स ऑफ इंडिया की वेबसाइट और मोबाइल एप दोनों ही कम आकर्षक हैं। सोचिए, क्या आप वास्तव में आधा दर्जन पॉपअप विज्ञापनों के साथ अपनी खबरों को पढ़ना चाहते हैं? यदि आपका उत्तर 'हां' है, तो मैं आपसे निवेदन करूंगा कि आप इसे एक मिनिट और सोचें। हम सब जानते हैं कि विज्ञापन रास्ते का हिस्सा हैं, लेकिन क्या वे सचमुच में एक खबर को पढ़ने के अनुभव को बिगाड़ने चाहिए? मेरा मानना है कि नहीं।

वास्तविकता की जांच

आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण बात, वास्तविकता की जांच। हम उम्मीद कर सकते हैं कि एक अखबार बिना तथ्यों की जांच किए कभी भी कोई खबर नहीं छापेगा। अच्छी खबर यह है कि टाइम्स ऑफ इंडिया आमतौर पर इसे ठीक करता है। बुरी खबर यह है कि जब वे इसे ठीक नहीं करते, वे बहुत बड़े तरीके से गलत करते हैं। लेकिन फिर भी, मैं कहूंगा कि यह नापसंदीदा वृत्तिकेतु है।

निष्कर्ष

निदान, क्या टाइम्स ऑफ इंडिया अच्छा समाचार पत्र है? उत्तर है कठिनाई से। लेकिन फिर भी, आपको इसे उपेक्षित करने की जरूरत नहीं है। पढ़ने और जानने के लिए यह बहुत कुछ देता है, बस आपको इसका योग्य उपयोग करना होगा। तो अब गहरी साँस लें, अपनी चाय का लुट्फ उठाएं और आस्तिन का साँप खुद को खुद पहचानने दें!